Sagar Laholkar
Friday, 15 July 2022
पाषाण
पाषाण
कोरडे पाषाण तृप्त होऊ दे
असाच धो धो बरसत जा
फुटून प्रेमाला पालवी
माणसाला थोड शिकवत जा
✍_______सागर लाहोळकार
८९७५१३९६०४
अकोला
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