Saturday, 1 June 2019

नजर

हजारो कतले आम हुआ
तेरी नजरो से
हम भी ना बचपाये
तेरे आने से

अब ख्वाइश तो एक ही मेरी की
तेरे जिस्मसे मेरी रूह मिल जाये
और ये सारा जहाँ
इश्क का गुलाम बन जाये

  ✍________सागर लाहोळकार
                       ८९७५१३९६०४
                            अकोला

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