हजारो कतले आम हुआ
तेरी नजरो से
हम भी ना बचपाये
तेरे आने से
अब ख्वाइश तो एक ही मेरी की
तेरे जिस्मसे मेरी रूह मिल जाये
और ये सारा जहाँ
इश्क का गुलाम बन जाये
✍________सागर लाहोळकार
८९७५१३९६०४
अकोला
No comments:
Post a Comment